Seemankan Form ( सीमांकन फॉर्म - द्वितीय / Seemankan Form2 )
आवश्यक संलग्न :
1. खसरे की प्रति
2. सीमांकित किये जाने वाले सर्वेक्षण संख्यांक/ब्लॉक संख्यांक/भू-खंड संख्यांक नक़्शे की प्रति जिसमे लगे हुए सर्वेक्षण संख्यांक /ब्लॉक संख्यांक/भू -खण्ड संख्यांक सम्मिलित है |
3. फीस पावती की प्रति
प्रारूप-दो
(नियम 5 देखिये )
राजस्व निरीक्षक/नगर सर्वेक्षक की सीमांकन रिपोर्ट
राजस्व प्रकरण क्रमांक _ _ _ _ _ _ _ _
न्यायलय तहसीलदार/अपर तहसीलदार/नायब तहसीलदार _ _ _ _ _ _ _ _ तहसील _ _ _ _ _ _ _ _ जिला _ _ _ _ _ _ _ _मध्यप्रदेश
तारीख _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ सीमांकन रिपोर्ट
आपके आदेश दिनांक _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ के अनुपालन में भूमिस्वामी _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ पटवारी हल्का नंबर/सेक्टर नंबर __ _ _ _ _ _ ग्राम/नगरीय क्षेत्र _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ में अवस्थित सर्वेक्षण संख्यांक/ब्लॉक संख्यांक/भू खंड संख्यांक के सीमांकन की रिपोर्ट पटवारी ने निम्नानुसार प्रस्तुत की है :
1. सीमांकन के क्रियान्वयन की तारिख _ _ _ _ _ _ _ _ _ _
2. सीमांकन शुरू होने के समय _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ सीमांकन समाप्त होने का समय _ _ _ _ _ _ _ _ _ _
3 . हितबद्ध पक्षकारो को दिए गए सीमानकन के नोटिस का विवरण
स क्र | नाम | नोटिस की तामीली का प्रकार तथा तारीख |
(1) | (2) | (3) |
1. | ||
2. | ||
3. | ||
4. | ||
5. |
4. पक्षकारो का विवरण जिन्हें नोटिस तामील नहीं हो सका
स क्र | नाम | नोटिस की तामील न होने के कारण |
1 | 2 | 3 |
1. | ||
2. | ||
3. | ||
4. | ||
5. |
इनको भी देखें :-
सीमांकन फॉर्म 1
सीमांकन का कार्य भूमि की सीमा निर्धारण और उसकी सीमा चिन्हों की स्थापना से संबंधित होता है। यह प्रक्रिया सरकारी भूमि रिकॉर्ड के सही रख-रखाव के लिए जरूरी होती है, ताकि भूमि के सीमाओं का सही निर्धारण किया जा सके और भविष्य में कोई विवाद न हो। सीमांकन का उद्देश्य भूमि की सीमा को स्पष्ट रूप से चिह्नित करना होता है, जिससे किसी भी प्रकार की कानूनी और प्रशासनिक समस्याओं से बचा जा सके।
सीमांकन फॉर्म 1 उस आवेदन पत्र का हिस्सा है, जिसे किसी भी व्यक्ति, संस्था या सरकारी विभाग को भूमि की सीमा चिह्नित करने या बदलने के लिए पेश करना होता है। इस फॉर्म के माध्यम से संबंधित विभाग या अधिकारी यह निर्धारित करते हैं कि भूमि की सीमाओं का पुनर्निर्धारण या चिन्हन किया जाए।
सीमांकन फॉर्म 2 क्या है?
सीमांकन फॉर्म 2 एक औपचारिक आवेदन या रिपोर्ट है जिसे राजस्व निरीक्षक या नगर सर्वेक्षक द्वारा भूमि के सीमांकन के दौरान तैयार किया जाता है। यह फॉर्म सीमांकन प्रक्रिया के दौरान भूमि के स्वामित्व, सीमाओं, और उसके मानचित्र से संबंधित सभी आवश्यक विवरणों को प्रस्तुत करता है।
सीमांकन फॉर्म 1 के मुख्य भाग:
- आवेदक का व्यक्तिगत विवरण:
- इस खंड में आवेदन करने वाले व्यक्ति का नाम, पता, खसरा नंबर, खाता नंबर और भूमि का विवरण दिया जाता है।
- भूमि का प्रकार (जैसे कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि आदि) और मालिक का नाम एवं अन्य व्यक्तिगत जानकारी दर्ज होती है।
- भूमि का विवरण:
- आवेदनकर्ता को भूमि के बारे में विस्तृत जानकारी देनी होती है, जैसे भूमि का क्षेत्रफल, खसरा नंबर, और भूमि की पहचान।
- भूमि के चारों ओर की सीमाओं का वर्णन और भूमि की स्थिति (ग्रामीण, शहरी, नगरीय, आदि) भी इसमें शामिल होती है।
- सीमांकन की आवश्यकता:
- इसमें यह बताया जाता है कि भूमि की सीमाओं के निर्धारण की आवश्यकता क्यों है। यह कारण भूमि विवाद, सीमाओं में परिवर्तन, नई सड़कों का निर्माण, या भूमि के पुराने रिकॉर्ड को सही करने के रूप में हो सकता है।
- सीमांकन के कारण और उद्देश्य:
- इस खंड में यह लिखा जाता है कि सीमांकन क्यों किया जा रहा है। इसमें भूमि पर किसी प्रकार के निर्माण कार्य, सड़कों का निर्माण, या भूमि में कोई अन्य बदलाव होने का उल्लेख हो सकता है।
- सीमांकन के लिए सहमति
- यह खंड यह स्पष्ट करता है कि संबंधित भूमि मालिक या अन्य अधिकारधारी इस सीमांकन कार्य के लिए सहमत हैं। यदि कोई भूमि विवाद चल रहा है, तो इसे भी फॉर्म में स्पष्ट किया जाता है।
- सीमा चिन्हन का कार्य
- यह खंड उस प्रक्रिया का विवरण देता है, जिसके तहत भूमि की सीमाओं को चिन्हित किया जाएगा। इसमें यह जानकारी दी जाती है कि सीमा चिन्ह (जैसे लकड़ी के खंभे, पत्थर, लोहे की छड़ों आदि) कहां लगाए जाएंगे।
- पंचायती निरीक्षण और अधिकारियों की रिपोर्ट
- सीमांकन प्रक्रिया में अधिकारियों या पंचायत के प्रतिनिधियों का निरीक्षण और उनकी रिपोर्ट शामिल होती है। यह रिपोर्ट उस भूमि का निरीक्षण करती है और यह सुनिश्चित करती है कि सीमाएं सही तरीके से चिह्नित की जा रही हैं।
- सीमांकन के लिए तारीख
- सीमांकन कार्य को कब शुरू किया जाएगा और उसकी समयसीमा क्या होगी, इसे इस खंड में लिखा जाता है।
सीमांकन और सीमा चिन्हों को संनिर्मित करने के लिए आवेदन का उद्देश्य:
- भूमि के अधिकारों की स्पष्टता:सीमांकन का मुख्य उद्देश्य भूमि के अधिकारों को स्पष्ट रूप से चिह्नित करना है। जब भूमि की सीमाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाता है, तो भूमि विवादों से बचा जा सकता है और मालिकाना अधिकारों को कानूनी रूप से सुनिश्चित किया जा सकता है।
- भूमि के उपयोग में बदलाव:जब भूमि का उपयोग किसी नई परियोजना के लिए किया जाता है (जैसे सड़कों का निर्माण, नहरों का निर्माण, या बुनियादी ढांचे का विकास), तो सीमांकन और सीमा चिन्हन की प्रक्रिया आवश्यक हो जाती है।
- राजस्व रिकॉर्ड का अद्यतनजब भूमि का सीमांकन होता है, तो राजस्व रिकॉर्ड को अद्यतित किया जाता है, ताकि भूमि की सही जानकारी राज्य के राजस्व रिकॉर्ड में हो। यह रिकॉर्ड भूमि के स्वामित्व और सीमाओं के बारे में सरकार को अपडेट रखता है।
- कानूनी विवादों से बचाव:भूमि की सीमाओं को सही तरीके से चिह्नित करने से भविष्य में किसी भी प्रकार के कानूनी विवाद से बचाव होता है। यदि भूमि की सीमा पहले से चिह्नित है, तो कोई अन्य व्यक्ति उस भूमि को दावा नहीं कर सकता।
सीमांकन और सीमा चिन्हों का निर्माण कैसे किया जाता है?
- सीमांकन कार्य के लिए आवेदन:सबसे पहले, भूमि मालिक या संबंधित व्यक्ति सीमांकन फॉर्म 1 भरकर संबंधित विभाग में आवेदन करता है। इस आवेदन में भूमि के बारे में सभी आवश्यक जानकारी और सीमांकन की आवश्यकता का उल्लेख होता है।
- अधिकारियों द्वारा निरीक्षण:एक बार आवेदन मिलने के बाद, संबंधित राजस्व विभाग, पंचायत या अन्य सरकारी अधिकारी भूमि का निरीक्षण करने के लिए जाते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि भूमि की सीमा सही है और कहीं से कोई विवाद या भ्रम की स्थिति नहीं है।
- सीमा चिन्हों का निर्माण:अधिकारी भूमि की सीमाओं को चिह्नित करते हैं। यह काम आमतौर पर सीमांकन कार्यों के लिए निर्धारित चिन्हों जैसे कि पत्थर, लकड़ी के खंभे, लोहे की छड़ें आदि के माध्यम से किया जाता है। इन चिन्हों को भूमि की सीमाओं पर लगाकर यह सुनिश्चित किया जाता है कि भूमि की सीमाएं स्पष्ट हैं और सभी के लिए सुलभ हैं।
- पुन: निरीक्षण और रिपोर्ट:सीमा चिन्हों के निर्माण के बाद, अधिकारी या पंचायत फिर से भूमि का निरीक्षण करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि सब कुछ सही तरीके से किया गया है। इसके बाद, एक रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमें भूमि की सीमा और अन्य संबंधित जानकारी शामिल होती है।
- राजस्व रिकॉर्ड में अपडेट:अंत में, सीमांकन और सीमा चिन्हन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, भूमि के बारे में सभी जानकारी राजस्व रिकॉर्ड में अपडेट की जाती है, और भूमि की सीमा आधिकारिक रूप से चिह्नित हो जाती है।
निष्कर्ष:
सीमांकन फॉर्म 1 भूमि की सीमाओं के निर्धारण और चिन्हित करने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह फॉर्म भूमि के मालिक या संबंधित व्यक्तियों को भूमि की सीमाओं को सही और आधिकारिक रूप से चिह्नित करने के लिए आवेदन करने का अवसर प्रदान करता है। सीमांकन प्रक्रिया से भूमि के अधिकारों की स्पष्टता मिलती है और भविष्य में भूमि विवादों से बचाव होता है।